लोकतंत्र क्या है और Loktantra के कितने प्रकार होते है एवं जाने लोकतंत्र का अर्थ, महत्व, इतिहास व कार्य सिद्धांत आसान भाषा में
किसी भी देश में जनता को एक बेहतर व्यवस्था के द्वारा प्रतिनिधि चुनने का जो अधिकार प्रदान किया जाता है वह लोकतंत्र के माध्यम से ही प्राप्त होता है जिसे हम प्रजातंत्र के नाम से जानते हैं और जहां पर Loktantra स्थापित होता है वहां यह उम्मीद भी की जा सकती हैं की विकास की राह एक बेहतर और व्यवस्थित तौर पर संचालित हो सकेगी हालांकि बहुत से देश ऐसे हैं जहां पर राजतंत्र का बोलबाला है परंतु भारत जैसे देशों में लोकतंत्र को एक सुशासन व्यवस्था के तौर पर माना जाता है तो आज इस लेख में हम आपको Loktantra(लोकतंत्र) से संबंधित विस्तार से जानकारी प्रदान करें जिससे आपको भी यह ज्ञात हो सके कि लोकतंत्र किसी भी देश के लिए कितना ज्यादा उपयोगी साबित हो सकता है।
Loktantra(लोकतंत्र) Kya Hai?
लोकतंत्र या फिर कहीं प्रजातंत्र एक प्रकार की ऐसी शासन प्रणाली है जिसके माध्यम से देश की जनता अपनी सुरक्षा के तौर पर निर्वाचन में खड़े हुए किसी भी उम्मीदवार को अपना मत देकर प्रतिनिधि के तौर पर चुन सकती है और उसे एक विधायिका का सदस्य भी बना सकते हैं हालांकि जिस तरह से शब्दों से ही पता चलता है कि Loktantra का जो अर्थ होता है वह जनता तथा तंत्र का आशय शासन से होता है जिसका पूर्ण रूप से मतलब जनता का शासन निकल कर आता है ऐसे में लोकतंत्र एक प्रकार की ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें हर एक व्यक्ति को समान अधिकार प्रदान किए गए हैं इसके अंतर्गत राजनीतिक,सामाजिक,न्याय और आर्थिक न्याय की व्यवस्था भी स्थापित की गई है इसके माध्यम से जनता को सामाजिक, राजनीतिक तथा धार्मिक स्वतंत्रता भी बेहतर तौर पर प्रदान की गई है।
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लोकतंत्र का अर्थ क्या है?
यदि लोकतंत्र के अर्थ या परिभाषा की बात की जाए तो इसकी परिभाषा थोड़ा कठिन मानी जाती है क्योंकि बहुत से विद्वानों ने इसकी अलग-अलग परिभाषाएं दी है तो बहुत सी अपनी अलग-अलग धारणाएं लेकर चलते हैं ऐसे में एक प्रसिद्ध विद्वान लिंसीड के अनुसार Loktantra को परिभाषित किया जाए तो वह यह है कि “लोकतंत्र एक ऐसी राजनीतिक प्रणाली है जोकि किसी भी पदाधिकारियों को बदल देने के लिए नियमित संविधानिक अवसर प्रदान करने का कार्य करती है जिसके लिए जनता एक विशाल हिस्सा राजनीतिक के तौर पर मानी जाती है जो कि कभी भी किसी उम्मीदवार को चुनकर महत्वपूर्ण बदलाव कर सकती है।”
Loktantra(लोकतंत्र) के कितने प्रकार होते है?
यदि लोकतंत्र की एक सामान्य परिभाषा दी जाए तो उसके अनुसार यह जनता द्वारा,जनता के लिए,जनता का शासन होता है लेकिन अलग-अलग परिस्थितियों में यह अलग-अलग धाराओं के माध्यम से प्रयोग की जाती है हालांकि प्राचीन काल से ही लोकतंत्र के संबंध में कई प्रकार के प्रस्ताव रखे गए थे जिसमें बहुत से ऐसे भी हैं जिन्हें क्रियान्वित नहीं किया गया और यदि Loktantra के प्रकार की बात की जाए तो औपचारिक रूप से यह दो प्रकार के माने जाते हैं जोकि निम्नलिखित है।
- प्रतिनिधि लोकतंत्र
- प्रत्यक्ष लोकतंत्र
प्रतिनिधि लोकतंत्र
प्रतिनिधि लोकतंत्र की बात की जाए तो इसके अंतर्गत जनता सीधे तौर पर अपने विधायकों एवं प्रतिनिधियों को चुनती है जो कि किसी जिले या संसदीय क्षेत्र से चुने जाते हैं और ऐसे में वह अपने क्षेत्र के सभी मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करता है हालांकि कुछ देशों में निश्चित व्यवस्था देखने को मिलती है जहां पर प्रतिनिधि जनता के द्वारा ही निर्वाचित होता है परंतु जनता के हित में कार्य करने की नीतियां प्रतिनिधि के द्वारा स्वयं तय की जाती है।
प्रत्यक्ष लोकतन्त्र
प्रत्यक्ष लोकतंत्र एक प्रकार का ऐसा लोकतंत्र होता है जिसके माध्यम से जितने भी देश के नीतिगत फैसले होते हैं उन पर देश की जनता के द्वारा मतदान किया जाता है इसके बाद ही उस फैसलों को सुचारू रूप से संचालित किया जाता है ऐसे में कोई भी प्रतिनिधि इसके अंतर्गत नहीं होता है हालांकि जितने भी प्रत्यक्ष लोकतंत्र हैं वह सभी छोटे समुदाय या नगर राष्ट्र में ही स्थापित किए जाते हैं जैसे उदाहरण के तौर पर स्वीटजरलैंड देश ही देख लें।
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लोकतंत्र की विशेषताएं क्या है?
जिन देश में Loktantra स्थापित होता है वहां पर कई महत्वपूर्ण कारणों से एक बेहतर शासन किया जा सकता है ऐसे में लोकतंत्र की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं भी है जो कि निम्नलिखित है:
- व्यस्क मताधिकार
- जनता की इच्छा सर्वोच्च है।
- किसी भी कार्य का उत्तरदाई सरकार है।
- जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि सरकार को बनाने में योगदान देते है।
- किसी भी विशेष पार्टी के बहुमत द्वारा निर्णय लिया जाता है।
- निष्पक्ष एवम समय पर चुनाव
- सरकार के किसी फैसले का समर्थन एवम विरोध दर्ज कराना
- देश में निष्पक्ष न्यायपालिका तथा विधि का शासन
- विभिन्न राजनीतिक दलों तथा दबाव समूह की उपस्थिति दर्ज होना
- समिति तथा संवैधानिक रूप से संचालित सरकार
- देश की जनता के अधिकार तथा स्वतंत्रता की रक्षा सरकार का कर्तव्य होना
लोकतंत्र का महत्व
यदि लोकतंत्र की बात किया जाए तो लोकतांत्रिक शासन के अंतर्गत आलोचनाएं और दोषों के होते हुए भी इसका एक अलग महत्व देखने को मिलता है इसके बारे में निम्नलिखित जानकारी देने जा रहे हैं:
- लोगों की जरूरतों को समझना और उसके अनुरूप आचरण करने के मामले में किसी अन्य देश की शासन प्रणाली से लोकतांत्रिक देश की शासन प्रणाली बेहतर मानी जाती है।
- किसी भी देश की लोकतांत्रिक शासन पद्धति को अन्य देशों की पद्धति की अपेक्षा बेहतर माना जाता है क्योंकि यहां पर अधिक जवाबदेही वाला स्वरूप निर्मित होता है।
- निर्णय को बेहतर देने की संभावना बढ़ाने के लिए लोकतंत्र की भूमिका हमेशा आवश्यक होती है।
- किसी भी देश में मतभेद और टकराव को लोकतंत्र के माध्यम से बेहतर तरीके से उपलब्ध कराया जाता है।
- लोकतांत्रिक देश की जनता एवं नागरिकों का व्यवस्थित तौर पर सम्मान बढ़ता है
- लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत की गई गलतियों को सुधारने का मौका प्रदान किया जाता है।
भारत में लोकतंत्र की स्तिथि
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र यदि देखा जाए तो भारत का ही माना जाता है जहां पर राष्ट्रपति को राज्य के प्रमुख के तौर पर जाना जाता है वही प्रधानमंत्री देश की केंद्र सरकार के प्रमुख के तौर पर शासन करता है और केंद्र सरकार के अलावा भी देश में एक बेहतर शासन व्यवस्था को संचालित करने के लिए अलग-अलग राज्यों की राज्य सरकार निर्मित की जाती है जो कि Loktantra के माध्यम से ही संचालित की जाती है हालांकि केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारें सविधान के ढांचे के अंतर्गत कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध होती है और भारत में लोकतंत्र के जो मूलभूत सिद्धांत है वह एक राजनीतिक समानता के तौर पर आधारित है ऐसे में देश का कोई भी व्यक्ति अपनी खुद की पार्टी बना सकता है और चुनाव लड़ सकता है।
लोकतंत्र का भारतीय इतिहास
यदि प्राचीन लोकतांत्रिक व्यवस्था को देखा उस समय भी आज की तरह ही शासन व्यवस्था एवं निर्वाचन प्रणाली देखने को मिलती है जहां पर योग्यताएं एवं गुणों के आधार पर चुनाव की प्रक्रिया की जाती थी परंतु नागरिकों को वोट देने का अधिकार नहीं था हालांकि ऋग्वेद और साहित्य में चुनाव पद्धति की पुष्टि तो की है परंतु उसमें कहीं पर भी वोट देने के अधिकार के बारे में प्रमाण देखने को नहीं मिले और वर्तमान समय में जो संसद संचालित की जाती है तो उस समय की संसद प्रणाली से ही मिलती जुलती देखने को मिलती है और उस समय केंद्रीय सदस्यों की संख्या 7707 और यौधेय केंद्रीय सदस्यों में 5000 सदस्य होते थे। और प्राचीन संसदीय सत्र की तरह ही उस समय के परिषद में भी अधिवेशन हुआ करते थे।
लोकतंत्र से संबंधित कुछ सवाल और जवाब (FAQs)
यदि किसी भी देश में सामाजिक लोकतंत्र के अर्थ को देखा जाए टेंशन में समाज में जाति धर्म भाषा लिंग जन्म धन्ना शादी के आधार पर नागरिकों के बीच भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए और सभी नागरिकों को एक समान रूप से समझा जाना चाहिए और उनकी स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।
यदि वर्तमान समय में विश्व में देखा जाए तो बहुत से देशों में लोकतंत्र ना हो का राजतंत्र स्थापित किया गया है जिनमें मुख्य रुप से सऊदी अरब जॉर्डन का नाम एमआर मेडिकल सिटी भूटान गोरखपुर नहीं कुवैत बहरीन यूएई ओमान कतर और स्विट्जरलैंड आदि देश है।
जैसा कि हम जानते हैं कि लोकतंत्र का जो अर्थ होता है वह जनता द्वारा, जनता के हित में, जनता पर शासन से संबंधित होता है ऐसे में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मतदान का अधिकार स्वतंत्र मीडिया निष्पक्ष न्यायालय लोकतंत्र के प्रमुख सिद्धांतों में से एक माने जाते हैं।