Earthquake Kya Hota Hai और भूकंप कैसे आता है एवं भूकंप के कारण, प्रकार क्या होते है व रिक्टर स्केल पर तीव्रता जाने हिंदी में
पृथ्वी की संरचना लाखो वर्ष पहले ही हो गई थी और सौरमंडल पर पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां पर जीवन संभव है और यहां पर कई प्रजाति के जीव जंतु और ऋतुओं का आना-जाना देखने को मिलता है और इसके साथ ही सबसे महत्वपूर्ण चीज जल भी पृथ्वी पर ही मिलता है हालांकि आज के समय में वैज्ञानिक तकनीकों के होने से हमें इन सब जानकारियों के बारे में विस्तार से पता चल पाता है परंतु यदि देखा जाए तो पृथ्वी पर ही सबसे ज्यादा प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप भी आता है जिस में मुख्य रूप से भूकंप, सुनामी, बाढ़ सूखा और महामारी यह सभी आपदाएं काफी ज्यादा नुकसान भी पहुंचाती हैं जिससे मानव जीवन पर काफी ज्यादा गहरा असर पड़ता है यही नहीं Earthquake(भूकंप) के कारण जानमाल का अत्यधिक नुकसान भी होता है जिससे हजारों की संख्या में मौत भी हो जाती है।
भूकंप(Earthquake) क्या होता है?
यदि सीधे शब्दों में समझा जाए तो भूकंप का अर्थ पृथ्वी की कंपन से होता है जो कि एक प्रकार की प्राकृतिक घटना होती है ऐसे में पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा के निकलने के कारण जो तरंगे उत्पन्न होती हैं वह पृथ्वी के सभी क्षेत्रों में फैल कर पृथ्वी को कंपन करने लगती हैं जिससे धरती हिलने लगती है और ऐसे में धरती के ऊपर बने मकान बिल्डिंग पेड़ पौधे समुंदर सभी में हलचल सी मच जाती है और बहुत जगह तो घर मकान गिर जाने से काफी ज्यादा हानि भी पहुंचती है हाल ही में तुर्की और सीरिया में आए भूकंप से हजारों लोगों ने अपनी जान गवाई है।
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Earthquake (भूकंप) कितने प्रकार के होते है?
भूकंप के प्रकार की बात करें तो यह मुख्यता चार प्रकार के होते हैं जोकि अपने अलग-अलग परिस्थितियों के कारण आते हैं जिनके बारे में हम निश्चित तौर पर निम्नलिखित जानकारी देने जा रहे हैं।
विवर्तनिक भूकंप
सभी Earthquake में यह सबसे सामान्य रूप का भूकंप होता है जो कि पृथ्वी की क्रस्ट में मौजूद प्लेटो की गति के कारण उत्पन्न होता है और अधिकतर तौर पर विवर्तनिक भूकंप ही देखने को मिलता है जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट के नाम से भी जाना जाता है।
ज्वालामुखीय भूकंप
ज्वालामुखी भूकंप जो होता है वह एक प्रकार का विस्फोटक भूकंप के तौर पर भी जाना जाता है जो कि ज्वालामुखी के अंतर्गत आने से पहले या बाद में विस्फोट भी करता है जो कि मैग्मा के ज्वालामुखी से निकलने के कारण होता है और चट्टानों द्वारा सतह पर ढकेल दिया जाता है।
संक्षिप्त भूकंप
यह Earthquake का जो प्रकार होता है वह ज्यादातर भूमिगत खानों के अंतर्गत आता है जोकि चट्टानों के भीतर उत्पन्न दबाव के कारण देखने को मिलता है जिसमें चट्टानों के अंतर्गत बड़ी-बड़ी मशीनों के द्वारा खुदाई के दौरान इसकी आने की आशंका और बढ़ जाती है।
विस्फोटक भूकंप
विस्फोटक भूकंप जो होता है वह कृतिम प्रकृति के तौर पर आता है जो कि मानव निर्मित गतिविधियों के द्वारा ज्यादातर उत्पन्न होता है जैसे परमाणु विस्फोट करने पर उच्च घनत्व विस्फोट,विस्फोटक भूकंप का प्राथमिक कारण हो सकता है।
भूकंप (Earthquake) कैसे आता है?
जैसा कि हम जानते हैं कि धरती तीन परतों से मिलकर बनी होती जो की पहली परत को क्रस्ट कहा जाता है जिससे पूरी धरती पूर्ण रूप से गिरी हुई होती है और ऐसे में जो जमीन होती है वह मोटे तौर पर बहुत सारे प्लेट से मिलकर बनी हुई होती है जो की आड़ी तिरछी एक के ऊपर एक बिछी हुई होती है और एक दूसरे में जकड़े रहती है ऐसी स्थिति में कोई एक प्लेट में खिंचाव या फिर कंपन होती है तो अन्य सभी प्लेट्स भी इधर-उधर होने लगती है जिससे जमीन में कंपन होने लगती है उसी कंपनी से Earthquake के झटके महसूस किए जाते हैं और वैज्ञानिकों के अनुसार करोड़ों वर्ष पहले जब ऐसे ही आपस में प्लेट टकराती थी तो इन्हीं टकराव से बड़े बड़े पहाड़ बनकर उत्पन्न हुए थे।
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भूकंप(Earthquake) आने का क्या कारण होता है?
यदि देखा जाए तो भूकंप आने के कई कारण हो सकते हैं जिससे धरती में कंपन उत्पन्न होने लगती है जिस कारण से प्लेट आपस में टकरा कर Earthquake जैसी स्थिति पैदा करती हैं निम्नलिखित हम उन कारणों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।
Strike Slip
जब धरती के अंदर स्ट्राइक स्लिप में प्लेट्स अगल बगल में खिसकने लगती हैं तो ऐसे में उनके अंदर एक खिंचाव भी उत्पन्न होने लगता है जिससे कंपन की स्थिति पैदा हो जाती है जिस कारण से भूकंप आना निश्चित होता है जिसका उदाहरण आप अमेरिका के कैलिफोर्निया का सन एंड्रियाज फॉल्ट को भी देख सकते हैं।
Dip Slip
जब धरती के अंतर्गत प्लेट्स ऊपर नीचे की तरफ हिलने लगती हैं और कंपन की प्रक्रिया लगातार होती है तो ऐसे में डीप स्लीप जैसी घटना घटती है जोकि अमेरिका और प्रशांत महासागर वाली प्लेट में अक्सर ही देखने को मिलता है इस कारण से Earthquake के साथ ही साथ महासागरों में ज्वार भाटा जैसी परिस्थितियां भी उत्पन्न हो जाती हैं।
Oblique
तीसरी परिस्थिति ऑब्लिक के तौर पर होती है जिसके अंतर्गत प्लेट ऊपर नीचे अगल-बगल दोनों तरफ खिसकने लगती हैं जिससे तेज भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं और अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में ऐसा कई बार देखने को मिला है और इन्हीं परिस्थितियों के कारण समुद्र में पानी की धार बदलकर सुनामी आ जाती है।
भूकंप को मापने का तरीका क्या है?
जब भी धरती के किसी कोने में Earthquake जैसी परिस्थिति आती है वैसे में उस समय दो चीजों का महत्वपूर्ण ध्यान दिया जाता है जिसे Magnitude और Intensity के तौर पर जाना जाता है जिसका सीधा मतलब यह होता है कि भूकंप कितना आया और कितनी जोर से आया था जिसे हम रिक्टर स्केल के माध्यम से मापन करते हैं।
Seismometer
जब भी धरती के किसी कोने में प्लेट्स आपस में टकराती हैं तो ऐसे में बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होने लगती हैं जो कि तरंगों के रूप में बाहर की तरफ निकलती है ऐसे में ज्यादातर Earthquake रहित क्षेत्रों में सीस्मोमीटर नाम के एक यंत्र को स्थापित किया जाता है जिसमें तरंग आकर टकरा जाती है और वह एक व्यवस्थित माप को नोट करके दूरी और तरंग के आधार पर फार्मूले के नियम के अंतर्गत रिक्टर स्केल पर दर्शाता है जिसके बाद रिक्टर स्केल के माध्यम से भूकंप के झटको का सही अनुमान लगाया जाता है।
Richter Scale
रिक्टर स्केल के माध्यम से ही Earthquake के झटके की तीव्रता की माप की जाती है ऐसे में यदि रिक्टर स्केल पर 3 तक की तीव्रता दिखाई जाती है तो वह गंभीर नहीं होता है हालांकि 4 या उससे ज्यादा का भूकंप आता है तो उससे दिक्कत महसूस की जाती है परंतु 6 से अधिक वाले गंभीर स्थिति पैदा कर सकते हैं और Earthquake जिस भी जगह से आरंभ होता है उसे फोकस कहा जाता है और वहां पर उस दिशा के अंतर्गत जो केंद्र होता है उसको मुख्य सेंटर के नाम से जाना जाता है यही पर सीज्मोमीटर भूकंप की तीव्रता की नाप करता है।
भूकंप से संबंधित कुछ सवाल और जवाब (FAQs)
यदि भूकंप की बात की जाए तो सबसे ज्यादा भूकंप दुनिया में जापान,इंडोनेशिया देश में आता है ऐसा इसलिए है क्योंकि यह देश खासतौर से रिंग ऑफ फायर क्षेत्र के अंतर्गत पड़ता है हालांकि सुमात्रा और जावा देश भी इसी के आस पास होते हैं इसलिए वहां पर भी भूकंप अत्यधिक मात्रा में देखने को मिलता है।
हमारे देश में सबसे बड़ा भूकंप आजादी से पहले वर्ष 1934 में बिहार राज में आया था जिसके द्वारा लगभग 30000 लोगों की जानें गई थी वह बहुत ज्यादा जान माल का भी नुकसान हुआ था जिससे बहुत ज्यादा नुकसान होने से जीवन काफी ज्यादा अस्त-व्यस्त हो चुका था।
देश के उत्तरी पूर्वी क्षेत्र में भूकंप आने की संभावना ज्यादातर देखने को मिलती है जहां पर कश्मीर से लेकर दिल्ली तक का क्षेत्र काफी ज्यादा संभावित सूची में देखने को मिलता है शायद यही कारण है कि दिल्ली-एनसीआर में समय-समय पर भूकंप आने की घटना घटती रहती है।